उत्तराखंड

न इलाके का पता… न रास्तों का ज्ञान और भूलभुलैया में झोंक दिए जवान; सदमे में नई महिला जवान

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में चारों ओर से पत्थरों की बारिश के बीच महिला फोर्स पुरुषों से आगे लगी थीं। इन्हें न इलाके का पता था और न रास्तों का ज्ञान। सुबह हल्द्वानी पहुंची, दिन में सत्यापन किया। फिर फ्लैग मार्च के नाम पर बनभूलपुरा भेज दिया।

तंग गलियों और टेड़े मेढ़े रास्ते और हर गली का अंतिम सिरा एक। कुछ ऐसा है बनभूलपुरा में गलियों की भूलभुलैया। जहां घुसने के बाद बाहर निकलने के लिए अक्सर लोगों को कई बार एक ही जगह के चक्कर मारने पड़ जाते हैं। ऐसे भूलभुलैया में पुरुषों के साथ महिला पीएसी के जवान भेज दिए गए, जिनको न तो यहां के रास्तों का पता था और न ही इलाके के बारे में जानकारी। 

जिस कारण पथराव होने पर जवान बचने के लिए गलियां-गलियां भागते रहे। कुछ को इलाके के लोगों ने बचाया तो कुछ पत्थरों की बारिश के बीच किसी तरह इलाके से बाहर निकल सके। लेकिन इस मंजर से उनके दिल में दहशत जरुर घर कर गई है।

शुक्रवार को नैनीताल रोड पर कहीं कोई महिला पुलिसकर्मी लंगड़ाते हुए चलती नजर आयी तो किसी के हाथ में पट्टी बंधी दिखी। पुलिस बसों में पुलिसकर्मी अपनी साथियों के हालचाल लेते मिले। चोटिल पुलिसकर्मियों से पूछने पर पता चला कि उनको तो कार्रवाई का पता ही नहीं था। 

बस आदेश आया और हम चल दिए। चौंकाने वाली बात यह थी इस इलाके में भेजी गई महिला फोर्स को यहां की भौगोलिक परिस्थिति की पूरी जानकारी ही नहीं थी। रुद्रपुर से टीम हल्द्वानी पहुंची और शाम को बनभूलपुरा में जाने को कह दिया, लेकिन सिर्फ इतना बताया गया कि फ्लैग मार्च होना है। मगर जब वहां पहुंचे तो विरोध होने लगा था। 

महिलाओं को रोकने के लिए आगे बढ़े तो पथराव हो गया। जेसीबी टूटी पड़ी थी और आग लगी हुई थी। पत्थर सड़क पर आ रहे थे। मगर कहीं से भी निकलने का रास्ता नजर नहीं रहा था। बताया कि उनके लिए यह जगह बिलकुल नई थी। न तो यहां के बारे में अच्छी तरह से पता था और न ही यहां के रास्तों के बारे में जानकारी थी। जिस रास्ते आए थे वहां आग लगी हुई थी। 

जिस गली में घुस रहे थे, एक सी नजर आ रही थी। तंग गलियों में घरों की छत से पत्थर बरस रहे थे। कई बार लगा गली से बाहर निकल गए, लेकिन लौटकर वहीं पहुंच जा रहे थे। समझ नहीं आ रहा था कहां जाएं। इस दौरान कई घरों के दरवाजे भी खटखटाए, लेकिन आसरा नहीं मिला। रात भर साथियों का इलाज कराते रहे और अब दोपहर होने को है लेकिन अभी तक क्या करना है इसका ही पता नहीं है।

करीब 30 घंटे से जगे हुए हैं सभी
एक घायल पुलिस कर्मी ने बताया कि उसके पैर में पत्थर लगने से चोट लगी है और अब चलने में भी दर्द हो रहा है। बताया कि बृहस्पतिवार की सुबह करीब 5 बजे रुद्रपुर से हल्द्वानी को निकले का आदेश था।इसलिए सुबह चार बजे से पहले ही उठ गए थे। हल्द्वानी आने से पहले कहां जाना है इसका भी पता नहीं था। सुबह 8 बजे करीब हल्द्वानी पहुंचे, तो पनचक्की क्षेत्र में सत्यापन के काम पर लगा दिया। दोपहर में सभी को कोतवाली पहुंचने को कहा तो फोर्स वहां पहुंच गई।

शाम को पथराव, आगजनी में बचते-बचते फिरे और रात में अपने साथियों का इलाज करते रहे। अब दोपहर के 3 बजने को हैं, लेकिन अभी तक न तो वापस जाने के आदेश हैं और न कोई अन्य। बवाल के बाद बस में ही रात हुई है और बस में ही दिन बीत गया है।

सदमे में नए सिपाही ट्रेनी, नर्स ने दी हिम्मत
बनभूलपुरा में पथराव और आगजनी की घटना से कई नए ट्रेनी पुलिस की महिला जवानों को सदमा भी लगा है। अस्पताल में उनकी आंखों से बारबार आंसू भी निकल रहे थे। बेस अस्पताल की महिला स्टाफ नर्स मनीषा ने बताया कि एक 21-22 साल की पुलिस की जवान इस घटना से बुरी तरह डरी हुई पहुंची थी। उसको पानी पिलाकर पहले ढांढस दिलाया और कंफर्ट देने की कोशिश की, लेकिन उसकी आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। बाद में उसका भाई उसे अपने साथ ले गया।

पीआरडी जवान भी भेजे बनभूलपुरा
बनभूलपुरा में कार्रवाई के दौरान प्रशासन ने पीआरडी जवानों को भी मौके पर लगा दिया। इसमें न तो जवानों की उम्र देखी गई और न ही उनका स्वास्थ्य। स्पोर्ट्स स्टेडियम में तैनात पीआरडी जवानों को भी मौके पर भेजा गया। जिसमें राजेंद्र प्रसाद नाम के पीआरडी जवान चोटिल हो गए। उनकी आंख के नीचे कांच से चोट लगी थी। जिनका बेस अस्पताल में ईलाज किया गया। वहीं उमेश कुमार नाम के जवान में सिर पर चोट लगी थी।

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